राजस्थान, भारत का सबसे बड़ा राज्य, अपने विशाल भौगोलिक विस्तार के कारण एक सुव्यवस्थित प्रशासनिक संरचना पर निर्भर करता है। इस प्रशासनिक व्यवस्था की मूल इकाइयाँ जिले (Districts) और संभाग (Divisions) हैं। इन इकाइयों का अध्ययन राज्य के प्रशासनिक तंत्र, भौगोलिक वितरण, जनसंख्या पैटर्न और विकास योजनाओं को समझने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। हाल के प्रशासनिक पुनर्गठन ने राज्य के मानचित्र में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं।

1. राजस्थान में प्रशासनिक इकाइयों का विकास और वर्तमान स्थिति
राजस्थान का वर्तमान स्वरूप विभिन्न रियासतों के एकीकरण के परिणामस्वरूप बना है। स्वतंत्रता के बाद, विभिन्न चरणों में राज्यों का पुनर्गठन हुआ, जिससे प्रशासनिक इकाइयों का विकास हुआ।
- एकीकरण से पूर्व: राजस्थान एकीकरण से पूर्व 19 रियासतों, 3 ठिकानों (कुशलगढ़, लावा, नीमराणा) और केंद्र शासित प्रदेश अजमेर-मेरवाड़ा में बंटा हुआ था।
- एकीकरण के समय (1 नवंबर, 1956): राजस्थान के एकीकरण के समय कुल 25 जिले थे। अजमेर-मेरवाड़ा का विलय राजस्थान में हुआ और इसे 26वाँ जिला बनाया गया।
- नए जिलों का गठन (विभिन्न चरण): समय-समय पर प्रशासनिक सुविधा, जनसंख्या वृद्धि और क्षेत्रीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए नए जिलों का गठन किया गया, जिससे 33 जिले हो गए (आखिरी 33वाँ जिला प्रतापगढ़ 2008 में बना)।
- अगस्त 2023 का पुनर्गठन (अस्थायी): पूर्ववर्ती सरकार ने 19 नए जिलों और 3 नए संभागों की घोषणा की थी, जिससे जिलों की संख्या 50 और संभागों की संख्या 10 हो गई थी।
- दिसंबर 2024 का नवीनतम पुनर्गठन (वर्तमान स्थिति): भजनलाल शर्मा सरकार ने दिसंबर 2024 में पूर्ववर्ती सरकार द्वारा बनाए गए 9 जिलों और 3 नए संभागों को निरस्त करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है।
वर्तमान में, राजस्थान में कुल 41 जिले और 7 संभाग हैं।
2. राजस्थान के कुल जिले: 41
नवीनतम निर्णय के अनुसार, राजस्थान में अब कुल 41 जिले हैं। जिन 9 जिलों को निरस्त किया गया है, वे हैं:
- दूदू
- केकड़ी
- गंगापुर सिटी
- नीम का थाना
- सांचौर
- शाहपुरा
- अनूपगढ़
- जोधपुर ग्रामीण
- जयपुर ग्रामीण
वर्तमान 41 जिलों की सूची (पुराने 33 जिले + 8 नए जिले जो यथावत रखे गए):
पुराने 33 जिले:
- अजमेर
- अलवर
- बांसवाड़ा
- बाड़मेर
- भरतपुर
- भीलवाड़ा
- बीकानेर
- बूंदी
- चित्तौड़गढ़
- चूरू
- दौसा
- धौलपुर
- डूंगरपुर
- श्री गंगानगर
- हनुमानगढ़
- जयपुर (अब एकीकृत)
- जैसलमेर
- जालोर
- झालावाड़
- झुंझुनू
- जोधपुर (अब एकीकृत)
- करौली
- कोटा
- नागौर
- पाली
- प्रतापगढ़
- राजसमंद
- सवाई माधोपुर
- सीकर
- सिरोही
- टोंक
- उदयपुर
- बारां
नए 8 जिले जो यथावत रखे गए:
- बालोतरा (बाड़मेर से अलग होकर)
- ब्यावर (अजमेर से अलग होकर)
- डीग (भरतपुर से अलग होकर)
- डीडवाना-कुचामन (नागौर से अलग होकर)
- फलौदी (जोधपुर से अलग होकर)
- खैरथल-तिजारा (अलवर से अलग होकर)
- कोटपूतली-बहरोड़ (जयपुर और अलवर से अलग होकर)
- सलूंबर (उदयपुर से अलग होकर)
महत्वपूर्ण तथ्य (जिलों से संबंधित – नवीनतम):
- सबसे बड़ा जिला (क्षेत्रफल की दृष्टि से): जैसलमेर (लगभग 38,401 वर्ग किमी)
- सबसे छोटा जिला (क्षेत्रफल की दृष्टि से): धौलपुर (लगभग 3,034 वर्ग किमी)। (दूदू के निरस्त होने के बाद पुनः धौलपुर सबसे छोटा जिला हो गया है।)
- सर्वाधिक जिलों के साथ सीमा बनाने वाला जिला: पाली (8 जिलों से सीमा बनाता है – अजमेर, राजसमंद, उदयपुर, सिरोही, जालोर, बाड़मेर, जोधपुर, नागौर)। (यह जानकारी अभी भी पुराने 33 जिलों के संदर्भ में है। नए 8 जिलों के गठन के बाद पाली की सीमा में परिवर्तन आया होगा। हालाँकि, सटीक नवीनतम संख्या के लिए आधिकारिक सीमा मानचित्रों का अध्ययन आवश्यक है। फिलहाल, पाली को ही सर्वाधिक सीमा बनाने वाला माना जाता है, लेकिन अब यह 7 जिलों से सीमा बनाता है: जोधपुर, ब्यावर, राजसमन्द, उदयपुर, सिरोही, जालौर, तथा बालोतरा।)
- अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित जिले: श्री गंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर (कुल 4 जिले)। (अनूपगढ़ के निरस्त होने के बाद यह संख्या 4 हो गई है।)
- दो राज्यों से सीमा बनाने वाले जिले:
- हनुमानगढ़: पंजाब और हरियाणा
- धौलपुर: उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश
- बांसवाड़ा: मध्य प्रदेश और गुजरात
- डीग: हरियाणा और उत्तर प्रदेश (नया जिला, इसलिए यह जानकारी अब मान्य है)
- कोटपूतली-बहरोड़: हरियाणा और राजस्थान के आंतरिक जिले (अलवर, जयपुर से जुड़ा)।
- खैरथल-तिजारा: हरियाणा और अलवर से जुड़ा।
- खंडित जिला: चित्तौड़गढ़ (रावतभाटा क्षेत्र मुख्य भाग से अलग है)।
- अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित जिलों की लंबाई (उत्तर से दक्षिण):
- जैसलमेर: 464 किमी
- बाड़मेर: 228 किमी
- श्री गंगानगर: 210 किमी
- बीकानेर: 168 किमी
- कुल: 1070 किमी
3. राजस्थान में संभाग व्यवस्था (वर्तमान: 7 संभाग)
प्रशासनिक सुगमता और विकेन्द्रीकरण के लिए जिलों को संभागों में बांटा गया है। संभागीय आयुक्त (Divisional Commissioner) संभाग का सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी होता है।
- संभाग व्यवस्था की शुरुआत: राजस्थान में संभाग व्यवस्था की शुरुआत 1949 में हुई थी। उस समय कुल 5 संभाग बनाए गए थे।
- संभाग व्यवस्था का स्थगन और पुनः शुरुआत:
- 1962 में मोहनलाल सुखाड़िया सरकार ने संभागीय व्यवस्था को समाप्त कर दिया था।
- 1987 में हरिदेव जोशी सरकार ने इसे पुनः शुरू किया। उस समय 6वाँ संभाग अजमेर बनाया गया था।
- नवीनतम परिवर्तन (2024): दिसंबर 2024 में, सरकार ने सीकर, पाली और बांसवाड़ा संभागों को निरस्त कर दिया है।
3.1. वर्तमान में राजस्थान के कुल 7 संभाग
नवीनतम पुनर्गठन के बाद, राजस्थान में अब 7 संभाग हैं। ये संभाग और उनमें शामिल जिले इस प्रकार हैं:
- जयपुर संभाग:
- जिले: जयपुर, दौसा, अलवर, कोटपूतली-बहरोड़, खैरथल-तिजारा।
- विशेषता: राज्य की राजधानी होने के कारण महत्वपूर्ण। पहले इसमें 7 जिले थे, जयपुर ग्रामीण और दूदू के निरस्त होने के बाद जिलों की संख्या बदली है।
- जोधपुर संभाग:
- जिले: जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, बालोतरा, फलौदी, जालोर, सिरोही।
- विशेषता: क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा संभाग, मरूस्थलीय क्षेत्र में स्थित। जोधपुर ग्रामीण और सांचौर के निरस्त होने के बाद जिलों की संख्या में बदलाव आया है। जालोर और सिरोही, जो पहले उदयपुर संभाग में थे, अब जोधपुर संभाग का हिस्सा हो सकते हैं (पुष्टि आवश्यक)। (संशोधन: पाली संभाग के निरस्त होने के बाद जालोर और सिरोही अब जोधपुर संभाग में नहीं हैं। वे संभवतः अजमेर या उदयपुर में वापस चले गए होंगे, या नए सिरे से निर्धारित होंगे। नवीनतम आधिकारिक स्रोतों की जाँच आवश्यक है।)
- अजमेर संभाग:
- जिले: अजमेर, नागौर, टोंक, भीलवाड़ा, ब्यावर, डीडवाना-कुचामन।
- विशेषता: राज्य के मध्य में स्थित, सड़क और रेल नेटवर्क का महत्वपूर्ण केंद्र। केकड़ी और शाहपुरा के निरस्त होने के बाद जिलों की संख्या बदली है।
- बीकानेर संभाग:
- जिले: बीकानेर, श्री गंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू।
- विशेषता: उत्तरी राजस्थान में स्थित, कृषि (विशेषकर गेहूं और कपास) के लिए प्रसिद्ध। अनूपगढ़ के निरस्त होने के बाद जिले कम हुए हैं, और चूरू को इसमें शामिल किया गया है (पहले जयपुर/सीकर में था)।
- कोटा संभाग:
- जिले: कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़।
- विशेषता: चंबल नदी बेसिन में स्थित, औद्योगिक और शैक्षिक केंद्र। (कोई परिवर्तन नहीं)
- उदयपुर संभाग:
- जिले: उदयपुर, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, प्रतापगढ़, डूंगरपुर।
- विशेषता: अरावली पर्वतमाला से घिरा, झीलों और वन संपदा के लिए प्रसिद्ध। सलूंबर को यथावत रखा गया है, लेकिन बांसवाड़ा संभाग के निरस्त होने के बाद बांसवाड़ा और डूंगरपुर वापस उदयपुर में आ गए हैं।
- भरतपुर संभाग:
- जिले: भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, डीग।
- विशेषता: पूर्वी राजस्थान में स्थित, ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व। गंगापुर सिटी के निरस्त होने के बाद जिले कम हुए हैं।
संभागों से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य (नवीनतम):
- सर्वाधिक जिलों वाला संभाग: जयपुर (5-7 जिले, सटीक संख्या के लिए नवीनतम आधिकारिक अधिसूचना देखें) या जोधपुर/अजमेर (पुष्टि आवश्यक)। यह संख्या अब बहुत गतिशील है।
- सबसे कम जिलों वाले संभाग: कोटा (4 जिले)।
- क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा संभाग: जोधपुर (अभी भी सबसे बड़ा होने की संभावना)।
- क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे छोटा संभाग: कोटा या भरतपुर (नवीनतम आंकड़ों की आवश्यकता है)।
- अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित संभाग: बीकानेर, जोधपुर।
- सभी राज्यों से सीमा बनाने वाला संभाग: भरतपुर (यह उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से सीमा बनाता है)।
- कोई अंतर-राज्यीय या अंतर्राष्ट्रीय सीमा नहीं बनाने वाले संभाग: अजमेर (पूर्णतः आंतरिक)।
4. जिलों और संभागों के पुनर्गठन का महत्व
जिलों और संभागों का पुनर्गठन एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक प्रक्रिया है जिसके कई निहितार्थ होते हैं:
- प्रशासनिक दक्षता में सुधार: जिलों का आकार नियंत्रित होने से प्रशासन लोगों के करीब आता है, जिससे योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन और जन समस्याओं का शीघ्र समाधान होता है।
- विकास का विकेन्द्रीकरण: प्रशासनिक इकाइयों के उचित आकार से विकास कार्यों को गति मिलती है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जो पहले बड़े जिलों के दूरदराज के इलाके थे।
- कानून और व्यवस्था में सुधार: छोटे जिले में पुलिस और प्रशासनिक नियंत्रण बेहतर होता है, जिससे अपराधों पर अंकुश लगाने में मदद मिलती है।
- जनप्रतिनिधित्व में वृद्धि: स्थानीय स्तर पर जनप्रतिनिधित्व के अवसर बढ़ते हैं।
- संसाधनों का बेहतर प्रबंधन: स्थानीय संसाधनों का उपयोग और प्रबंधन अधिक प्रभावी ढंग से किया जा सकता है।
- पहचान और क्षेत्रीय आकांक्षाएं: कई बार नए जिलों का गठन क्षेत्रीय पहचान और स्थानीय लोगों की लंबे समय से चली आ रही आकांक्षाओं को पूरा करता है, हालांकि कुछ मामलों में निरस्तीकरण से निराशा भी हो सकती है।
हालांकि, पुनर्गठन से कुछ चुनौतियाँ भी आती हैं, जैसे नए/पुराने प्रशासनिक ढांचे की स्थापना में प्रारंभिक लागत, कर्मचारियों का समायोजन और भौगोलिक जानकारी का अद्यतन।
5. निष्कर्ष
राजस्थान के 41 जिले और 7 संभाग राज्य की जटिल भौगोलिक, सामाजिक और आर्थिक संरचना का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह प्रशासनिक ढाँचा राज्य के सुचारू संचालन, विकास को गति देने और आम जनता तक सेवाओं को पहुँचाने के लिए आवश्यक है। नवीनतम प्रशासनिक परिवर्तनों ने राज्य के मानचित्र को पुनः परिभाषित किया है, जिससे राजस्थान अब एक परिवर्तित प्रशासनिक संरचना के साथ आगे बढ़ रहा है। यह जानकारी राजस्थान के किसी भी नागरिक या प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।