राजस्थान, भारत का सबसे बड़ा राज्य होने के नाते, अपनी विविध भू-आकृति (geomorphology) और प्राकृतिक विशेषताओं (natural features) के लिए जाना जाता है। यहाँ ऊँचे-नीचे पर्वत, विशाल रेगिस्तान, उपजाऊ मैदान और पठारी क्षेत्र सभी एक साथ देखने को मिलते हैं। इस विविधता के कारण राजस्थान को प्रमुख भौतिक प्रदेशों में विभाजित किया गया है। इन भौतिक प्रदेशों का अध्ययन राज्य के भूगोल, जलवायु, वनस्पति, कृषि और जनजीवन को समझने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
राजस्थान को मुख्य रूप से चार प्रमुख भौतिक प्रदेशों में बांटा गया है, जिसका वर्गीकरण वी.सी. मिश्रा ने अपनी पुस्तक ‘राजस्थान का भूगोल’ (1968) में सात भागों में किया था, जबकि डॉ. रामलोचन सिंह ने इसे दो वृहद प्रदेशों, चार उप-प्रदेशों और तेरह लघु प्रदेशों में बांटा। सामान्यतः, राजस्थान को उच्चावच (relief) और भू-वैज्ञानिक संरचना (geological structure) के आधार पर चार भागों में विभाजित किया जाता है:
1. पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश (Western Desert Region)
यह राजस्थान का सबसे बड़ा भौतिक प्रदेश है और राज्य के कुल क्षेत्रफल का लगभग 61.11% भाग कवर करता है। यह थार के मरुस्थल (Thar Desert) का एक हिस्सा है, जो विश्व के सबसे अधिक आबादी वाले मरुस्थलों में से एक है।
- विस्तार: राज्य के लगभग 12 जिलों में फैला है – जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, जोधपुर, नागौर, चूरू, सीकर, झुंझुनू, पाली, जालोर, श्री गंगानगर, हनुमानगढ़, तथा नए जिले जैसे फलौदी, बालोतरा, डीडवाना-कुचामन, कोटपूतली-बहरोड़ का कुछ भाग, खैरथल-तिजारा का कुछ भाग।
- विशेषताएँ:
- मिट्टी: रेतीली या बलुई (sandy soil)।
- जलवायु: शुष्क (arid) और अर्द्ध-शुष्क (semi-arid)। वार्षिक वर्षा 10 सेमी से 40 सेमी तक।
- तापमान: दिन और रात के तापमान में अत्यधिक अंतर (high diurnal temperature range)। ग्रीष्मकाल में अत्यधिक गर्म, शीतकाल में ठंडी रातें।
- वनस्पति: नगण्य, केवल कँटीली झाड़ियाँ, खेजड़ी (खेजड़ी – राज्य वृक्ष), रोहिड़ा (रोहिड़ा – राज्य पुष्प) और मरुस्थलीय घास (जैसे सेवण घास)।
- जनसंख्या: राज्य की लगभग 40% जनसंख्या इस क्षेत्र में निवास करती है।
- उच्चावच: मुख्यतः समतल रेतीले मैदान (sandy plains) और बालुका स्तूप (sand dunes)।
- अपवाह प्रणाली: अंतःप्रवाही नदियाँ (inland drainage rivers) जैसे घग्गर (Ghaggar) और मौसमी नदियाँ जैसे लूनी (Luni)।
- भू-वैज्ञानिक संरचना: टेथिस सागर (Tethys Sea) के अवशेष माने जाते हैं। यहाँ पर अवसादी चट्टानें (sedimentary rocks) पाई जाती हैं।
1.1. पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश का उप-विभाजन
इसे दो मुख्य उप-भागों में बांटा गया है, जिन्हें 25 सेमी की समवर्षा रेखा (isohyet line) अलग करती है:
अ. शुष्क मरुस्थलीय प्रदेश (महान भारतीय मरूस्थल / Great Indian Desert)
- विस्तार: 25 सेमी समवर्षा रेखा के पश्चिम में, जिसमें जैसलमेर, बाड़मेर, पश्चिमी जोधपुर, बीकानेर और श्री गंगानगर का पश्चिमी भाग शामिल है।
- विशेषताएँ:
- बालुका स्तूप: यहाँ विभिन्न प्रकार के बालुका स्तूप पाए जाते हैं, जैसे बरखान (Barchan – अर्द्धचंद्राकार), अनुप्रस्थ (Transverse – समकोण पर), अनुदैर्ध्य (Longitudinal – हवा की दिशा में समानांतर), परवलयिक (Parabolic), स्क्रब-कापी (Scrub-Coppice) आदि। जैसलमेर का पोकरण (Pokaran), बाड़मेर का सिवाना (Siwana), जोधपुर का फलोदी (Phalodi) बालुका स्तूपों के लिए प्रसिद्ध हैं।
- हमदा (Hamada): पथरीला मरुस्थल (stony desert)। जैसलमेर-पोकरण-बाड़मेर के बीच का क्षेत्र।
- इर्ग (Erg): पूर्णतः रेतीला मरुस्थल (sandy desert)।
- मरुभूमि (Marubhumi): शुष्क रेतीला मैदान।
- टाट या रन (Tatt or Run): बालुका स्तूपों के बीच निम्नवर्ती खारे पानी की झीलें या दलदली भूमि, जो वर्षा के पानी से भर जाती हैं। जैसे जैसलमेर में कनोड रन, पोकरण रन, बाड़मेर में थोब रन।
- पलाया झीलें (Playa Lakes): मरुस्थल में वर्षा जल एकत्रित होने से बनी अस्थायी खारे पानी की झीलें।
- लाठी सीरीज (Lathi Series): जैसलमेर के पोकरण से मोहनगढ़ तक फैली हुई भूगर्भीय जल पट्टी (underground water belt), जहाँ सेवण घास पाई जाती है। यह मीठे पानी का स्रोत है।
ब. अर्द्ध-शुष्क या राजस्थान बांगर प्रदेश (Semi-Arid or Rajasthan Bagar Region)
- विस्तार: 25 सेमी से 50 सेमी समवर्षा रेखा के बीच का क्षेत्र, जिसमें लूनी बेसिन, शेखावाटी प्रदेश, नागौरी उच्च भूमि और घग्गर का मैदान शामिल है।
- विशेषताएँ:
- लूनी बेसिन (गोडवाड़ प्रदेश): लूनी नदी द्वारा सिंचित क्षेत्र, जिसमें पाली, जालोर, सिरोही, बाड़मेर, जोधपुर का दक्षिणी भाग और नए जिले बालोतरा शामिल हैं। जलोढ़ मिट्टी (alluvial soil) और कुछ उपजाऊ क्षेत्र।
- शेखावाटी प्रदेश: चूरू, सीकर, झुंझुनू और नीम का थाना जिलों में फैला क्षेत्र। यहाँ मौसमी नदियाँ (जैसे कांतली) बहती हैं और सर (सर) (छोटे जलस्रोत) तथा जोहड़ (Johar) (पानी के तालाब) पाए जाते हैं। अंतःप्रवाही अपवाह क्षेत्र (inland drainage area)।
- नागौरी उच्च भूमि: नागौर जिले के आसपास का क्षेत्र। यहाँ खारे पानी की झीलें (saltwater lakes) जैसे सांभर (Sambhar), डीडवाना (Didwana), कुचामन (Kuchaman), नावा (Nawa) आदि पाई जाती हैं। यह फ्लोराइड की समस्या (fluorosis problem) से ग्रस्त क्षेत्र है (‘कुबड़ पट्टी’)।
- घग्गर का मैदान: श्री गंगानगर और हनुमानगढ़ जिलों में घग्गर नदी द्वारा निर्मित उपजाऊ मैदान, जिसे ‘नाली’ क्षेत्र भी कहा जाता है।
2. अरावली पर्वतीय प्रदेश (Aravalli Mountain Region)
यह राजस्थान के मध्य भाग में स्थित है और राज्य के कुल क्षेत्रफल का लगभग 9.1% भाग कवर करता है। यह विश्व की सबसे प्राचीनतम वलित पर्वतमालाओं में से एक है।
- विस्तार: यह दक्षिण-पश्चिम (खेड़ब्रह्मा, सिरोही) से उत्तर-पूर्व (खेतड़ी, झुंझुनू) तक लगभग 692 किलोमीटर की लंबाई में फैला है। राजस्थान में इसकी लंबाई लगभग 550 किलोमीटर है।
- विशेषताएँ:
- भू-वैज्ञानिक संरचना: प्री-कैम्ब्रियन काल (Pre-Cambrian period) की चट्टानें। मुख्य रूप से क्वाटर्ज़ाइट (quartzite), नीस (gneiss) और शिस्ट (schist) चट्टानें।
- जलवायु: उप-आर्द्र (sub-humid) से आर्द्र (humid)।
- वनस्पति: मिश्रित पतझड़ वनस्पति (mixed deciduous forests)।
- जनसंख्या: राज्य की लगभग 10% जनसंख्या इस क्षेत्र में निवास करती है।
- महत्व:
- यह एक प्रमुख जल विभाजक है, जो बंगाल की खाड़ी और अरब सागर अपवाह तंत्र को अलग करता है।
- यह रेगिस्तान के प्रसार (desertification) को पूर्वी राजस्थान में रोकने में सहायक है।
- खनिज संपदा: धात्विक खनिजों (metallic minerals) जैसे तांबा, सीसा-जस्ता, अभ्रक (mica), लौह अयस्क (iron ore) आदि से समृद्ध।
- पर्यटन: माउंट आबू (Mount Abu), कुंभलगढ़ (Kumbhalgarh), उदयपुर (Udaipur) जैसे पर्यटन स्थल।
2.1. अरावली पर्वतीय प्रदेश का उप-विभाजन
इसे तीन मुख्य उप-भागों में बांटा गया है:
अ. दक्षिणी अरावली प्रदेश
- विस्तार: सिरोही, उदयपुर, राजसमंद और सलूंबर जिलों में।
- विशेषताएँ: सर्वाधिक ऊँचा भाग और सर्वाधिक सघनता।
- गुरु शिखर (Guru Shikhar): अरावली की सबसे ऊँची चोटी (1722 मीटर) – माउंट आबू, सिरोही।
- अन्य प्रमुख चोटियाँ: सेर (1597 मी), देलवाड़ा (1442 मी), जरगा (1431 मी), अचलगढ़ (1380 मी), कुंभलगढ़ (1224 मी)।
- भोराठ का पठार (Bhorath Plateau): कुंभलगढ़ (राजसमंद) और गोगुंदा (उदयपुर) के बीच स्थित पठारी क्षेत्र।
- लसाड़िया का पठार (Lasadia Plateau): उदयपुर के जयसमंद झील के पूर्वी किनारे पर स्थित कटा-फटा पठारी क्षेत्र।
- उड़िया का पठार (Udiya Plateau): माउंट आबू के नीचे स्थित, राजस्थान का सबसे ऊँचा पठार (1360 मी)।
- आबू पर्वत खंड (Abu Mountain Block): ग्रेनाइट चट्टानों से निर्मित, यह एक इंसलबर्ग (Inselberg) का उदाहरण है।
ब. मध्य अरावली प्रदेश
- विस्तार: अजमेर, ब्यावर, जयपुर, दौसा और टोंक जिलों में।
- विशेषताएँ: कम ऊँचाई और सघनता।
- प्रमुख दर्रे (Passes): अजमेर में परवेरिया, शिवपुर घाट, सूरा घाट, देबारी, बर, पीपली आदि।
- तारागढ़ (Taragarh): अजमेर के पास स्थित चोटी (870 मी)।
- मारवाड़ के मैदान को मेवाड़ के उच्च पठार से अलग करता है।
स. उत्तरी-पूर्वी अरावली प्रदेश
- विस्तार: जयपुर, अलवर, सीकर, झुंझुनू, नीम का थाना, कोटपूतली-बहरोड़ और खैरथल-तिजारा जिलों में।
- विशेषताएँ: अरावली का सबसे कम ऊँचा और विरल भाग।
- प्रमुख चोटियाँ: रघुनाथगढ़ (सीकर, 1055 मी) – उत्तरी अरावली की सबसे ऊँची चोटी, खो (920 मी), भैराच (792 मी)।
- खेतड़ी सिंघाना बेल्ट: तांबे के निक्षेपों (copper deposits) के लिए प्रसिद्ध।
3. पूर्वी मैदानी प्रदेश (Eastern Plains Region)
यह राजस्थान के कुल क्षेत्रफल का लगभग 23% भाग कवर करता है। यह यमुना और चंबल नदियों द्वारा निर्मित उपजाऊ मैदानों का हिस्सा है।
- विस्तार: जयपुर, अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, टोंक, दौसा, भीलवाड़ा का पूर्वी भाग, तथा नए जिले डीग, गंगापुर सिटी।
- विशेषताएँ:
- मिट्टी: जलोढ़ मिट्टी (alluvial soil) और दोमट मिट्टी (loamy soil) जो अत्यधिक उपजाऊ होती है।
- जलवायु: उप-आर्द्र (sub-humid) से आर्द्र (humid)।
- वर्षा: 60 सेमी से 80 सेमी तक।
- जनसंख्या: राज्य की सर्वाधिक जनसंख्या (लगभग 39%) इस क्षेत्र में निवास करती है। यह सर्वाधिक जनघनत्व वाला प्रदेश है।
- कृषि: गेहूं, जौ, चना, सरसों, मक्का और चावल जैसी प्रमुख फसलों का उत्पादन होता है।
3.1. पूर्वी मैदानी प्रदेश का उप-विभाजन
इसे तीन प्रमुख नदी बेसिनों में बांटा गया है:
अ. बनास-बाणगंगा बेसिन
- विस्तार: अरावली के पूर्वी ढलान से पूर्व की ओर फैला है।
- विशेषताएँ: बनास नदी और उसकी सहायक नदियों (जैसे बेड़च, कोठारी, खारी) द्वारा निर्मित मैदान। यह क्षेत्र जलोढ़ मिट्टी और कृषि के लिए उपयुक्त है।
ब. चंबल बेसिन
- विस्तार: चंबल नदी और उसकी सहायक नदियों (जैसे कालीसिंध, पार्वती) द्वारा निर्मित बीहड़ भूमि (badlands)।
- विशेषताएँ: कोटा, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर में विस्तृत। यहाँ बीहड़ या उत्खात भूमि (ravines or badlands) पाई जाती है, जिसे डांग क्षेत्र (Dang region) भी कहते हैं। यह मृदा अपरदन (soil erosion) से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र है।
स. मध्य माही बेसिन (वागड़ प्रदेश)
- विस्तार: बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ जिलों में।
- विशेषताएँ: माही नदी द्वारा निर्मित मैदान, जिसे छप्पन का मैदान (Chhappan Plains) भी कहा जाता है (बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ के बीच 56 गाँवों का समूह)। यह क्षेत्र अपनी आदिवासी संस्कृति (tribal culture) और उपजाऊ मिट्टी के लिए जाना जाता है।
4. दक्षिणी-पूर्वी पठारी प्रदेश (South-Eastern Plateau Region) – हाड़ौती का पठार
यह राजस्थान के कुल क्षेत्रफल का लगभग 6.89% भाग कवर करता है। इसे ‘हाड़ौती का पठार’ भी कहा जाता है।
- विस्तार: कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़, चित्तौड़गढ़ के पूर्वी भाग, तथा भीलवाड़ा के कुछ दक्षिणी भाग में फैला है।
- विशेषताएँ:
- भू-वैज्ञानिक संरचना: विंध्यन कगार भूमि (Vindhyan Escarpment) और दक्कन लावा पठार (Deccan Lava Plateau) का हिस्सा। बेसाल्टिक लावा (basaltic lava) से निर्मित।
- मिट्टी: काली मिट्टी (black soil) या रेगुर मिट्टी, जो कपास और सोयाबीन की खेती के लिए उपयुक्त है।
- जलवायु: आर्द्र (humid) से अति-आर्द्र (very humid)। वार्षिक वर्षा 80 सेमी से 100 सेमी तक, झालावाड़ में सर्वाधिक वर्षा होती है।
- जनसंख्या: राज्य की लगभग 11% जनसंख्या इस क्षेत्र में निवास करती है।
- नदियाँ: चंबल और उसकी सहायक नदियाँ (जैसे कालीसिंध, परवन, पार्वती, आहू)।
- वनस्पति: सघन मानसूनी वन (dense monsoon forests)।
- विशेषताएँ: लावा के जमाव के कारण यहाँ की भूमि लहरदार और उपजाऊ है।
4.1. दक्षिणी-पूर्वी पठारी प्रदेश का उप-विभाजन
इसे दो मुख्य उप-भागों में बांटा गया है:
अ. विंध्यन कगार भूमि (Vindhyan Escarpment)
- विस्तार: धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, कोटा, बूंदी और चित्तौड़गढ़ के पूर्वी भाग में।
- विशेषताएँ: यह बलुआ पत्थर (sandstone) और चूना पत्थर (limestone) से निर्मित कठोर चट्टानों का क्षेत्र है, जिसमें खड़ी ढालें (steep slopes) और कगार (escarpments) पाए जाते हैं। चंबल नदी इस क्षेत्र से होकर बहती है और बीहड़ बनाती है।
ब. दक्कन का लावा पठार (Deccan Lava Plateau)
- विस्तार: कोटा, झालावाड़ और बारां के अधिकांश भाग में।
- विशेषताएँ: बेसाल्टिक लावा के जमाव से बनी काली मिट्टी वाला उपजाऊ क्षेत्र। यह समतल और उपजाऊ भूमि है, जो कृषि के लिए बहुत उपयुक्त है।
निष्कर्ष
राजस्थान के भौतिक प्रदेश राज्य की विविधतापूर्ण भू-आकृति को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं। पश्चिमी रेगिस्तान की शुष्कता से लेकर अरावली की पर्वत श्रृंखलाओं, पूर्वी मैदानों की उर्वरता और दक्षिणी-पूर्वी पठार की काली मिट्टी तक, प्रत्येक क्षेत्र की अपनी अनूठी भौगोलिक और पर्यावरणीय विशेषताएँ हैं। इन भौतिक प्रदेशों का अध्ययन राजस्थान के प्राकृतिक संसाधनों, कृषि पैटर्न, जल उपलब्धता और यहाँ के जनजीवन को समझने की कुंजी है। यह ज्ञान राजस्थान के समग्र भूगोल और विकास की संभावनाओं को समझने में अत्यंत सहायक है।