Home » Rajasthan GK » राजस्थान की झीलें

राजस्थान की झीलें

राजस्थान, जिसे ‘झीलों की नगरी’ (उदयपुर के संदर्भ में) भी कहा जाता है, अपने विशाल मरुस्थलीय भूभाग के बावजूद कई महत्वपूर्ण झीलों का घर है। ये झीलें न केवल प्राकृतिक सौंदर्य का प्रतीक हैं, बल्कि राज्य के पर्यावरण, कृषि, पर्यटन और जल संसाधनों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। राजस्थान की झीलों को मुख्यतः खारे पानी की झीलें और मीठे पानी की झीलें – इन दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है।


1. खारे पानी की झीलें (Saltwater Lakes)

राजस्थान की अधिकांश खारे पानी की झीलें राज्य के पश्चिमी भाग में पाई जाती हैं, जो टेथिस सागर के अवशेष मानी जाती हैं। इन झीलों से नमक का उत्पादन किया जाता है।

1.1. सांभर झील

  • स्थिति: यह जयपुर ग्रामीण, डीडवाना-कुचामन और अजमेर जिलों की सीमा पर स्थित है।
  • विशेषताएँ:
    • यह भारत की सबसे बड़ी अंतर्देशीय खारे पानी की झील है (आंतरिक जल निकासी वाली सबसे बड़ी झील)।
    • इससे भारत के कुल नमक उत्पादन का लगभग 8.7% (कुछ स्रोतों के अनुसार 10−12%) प्राप्त होता है।
    • सांभर झील को रामसर साइट (Ramshar Site) का दर्जा प्राप्त है, जो इसे अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि बनाती है। यह प्रवासी पक्षियों, विशेषकर फ्लेमिंगो के लिए एक महत्वपूर्ण शीतकालीन आवास है।
    • यहां हिंदुस्तान सॉल्ट लिमिटेड (Hindustan Salt Limited) द्वारा नमक उत्पादन किया जाता है।
    • इस झील में मेंथा (Mentha) नामक शैवाल पाया जाता है, जो नमक की मात्रा बढ़ाने में सहायक है।
    • बिजोलिया शिलालेख के अनुसार, इसका निर्माण चौहान शासक वासुदेव ने करवाया था।

1.2. डीडवाना झील

  • स्थिति: डीडवाना-कुचामन जिले में।
  • विशेषताएँ:
    • यहां निजी क्षेत्र में नमक बनाने वाली संस्थाओं को देवल (Deval) कहा जाता है।
    • यहां से प्राप्त नमक में सोडियम सल्फेट (Sodium Sulphate) की मात्रा अधिक होती है, जो खाने योग्य नहीं होता, बल्कि उद्योगों (विशेषकर कागज और रसायन उद्योग) में उपयोग होता है।
    • यहां राजस्थान स्टेट केमिकल वर्क्स (Rajasthan State Chemical Works) का कारखाना है।

1.3. पचपदरा झील

  • स्थिति: बालोतरा जिले में।
  • विशेषताएँ:
    • यह उत्तम किस्म के नमक (98% सोडियम क्लोराइड) के लिए प्रसिद्ध है।
    • यहां खारवाल जाति के लोग मोरली झाड़ी की टहनी का उपयोग करके नमक बनाते हैं।
    • इस झील का निर्माण एक दलदली क्षेत्र को सुखाकर करवाया गया था।

1.4. लूणकरणसर झील

  • स्थिति: बीकानेर जिले में।
  • विशेषताएँ:
    • यह उत्तरी राजस्थान की प्रमुख खारे पानी की झील है।
    • यहां से भी नमक उत्पादन होता है, लेकिन सांभर जितना बड़े पैमाने पर नहीं।

1.5. अन्य खारे पानी की झीलें

  • नावा झील: डीडवाना-कुचामन जिले में (छोटा नमक प्रसंस्करण केंद्र)।
  • कुचामन झील: डीडवाना-कुचामन जिले में (छोटे पैमाने पर नमक उत्पादन)।
  • फलोदी झील: फलोदी जिले में।
  • कावोद झील: जैसलमेर जिले में।
  • रेवासा झील: सीकर जिले में।
  • तालछापर झील: चूरू जिले में (काले हिरणों के लिए प्रसिद्ध अभयारण्य भी है)।

2. मीठे पानी की झीलें (Freshwater Lakes)

राजस्थान में मीठे पानी की अधिकांश झीलें अरावली पर्वतमाला के पूर्वी और दक्षिणी भागों में पाई जाती हैं, जिनमें से कई का निर्माण सिंचाई और पेयजल के उद्देश्यों से किया गया था। ‘झीलों की नगरी’ उदयपुर में मीठे पानी की कई सुंदर झीलें हैं।

2.1. जयसमंद झील

  • स्थिति: सलूंबर जिले में (उदयपुर से 51 किमी दूर)।
  • विशेषताएँ:
    • यह राजस्थान की सबसे बड़ी कृत्रिम (मानवनिर्मित) मीठे पानी की झील है (एशिया की दूसरी सबसे बड़ी कृत्रिम झील)।
    • इसका निर्माण महाराणा जयसिंह ने गोमती नदी पर बांध बनाकर 1687−1691 ई. के बीच करवाया था।
    • इसे ढेबर झील भी कहते हैं।
    • इसमें 7 बड़े टापू (द्वीप) हैं, जिनमें सबसे बड़ा बाबा का भांगड़ा और सबसे छोटा प्यारी है।
    • इस झील से दो नहरें श्यामपुरा और भाट निकाली गई हैं, जिनका उपयोग सिंचाई के लिए किया जाता है।
    • झील के किनारे जयसमंद वन्यजीव अभयारण्य स्थित है।

2.2. राजसमंद झील

  • स्थिति: राजसमंद जिले में।
  • विशेषताएँ:
    • इसका निर्माण महाराणा राजसिंह ने 1662−1676 ई. के बीच कांकरोली (राजसमंद) के पास करवाया था।
    • इस झील के उत्तरी भाग को नौ चौकी पाल कहा जाता है, जहाँ 25 काले संगमरमर की शिलाओं पर राजप्रशस्ति (विश्व की सबसे बड़ी प्रशस्ति) उत्कीर्ण है। इसे रणछोड़ भट्ट तैलंग ने लिखा था।
    • यह झील एकमात्र ऐसी झील है जिसके नाम पर एक जिले (राजसमंद) का नाम पड़ा है।

2.3. पिछोला झील

  • स्थिति: उदयपुर शहर में।
  • विशेषताएँ:
    • इसका निर्माण 14वीं शताब्दी में महाराणा लाखा के शासनकाल में एक पिच्छू नामक बंजारे ने करवाया था।
    • यह उदयपुर की सबसे पुरानी और सुंदर झीलों में से एक है।
    • झील में दो प्रमुख महल हैं: जग निवास (वर्तमान में लेक पैलेस होटल) और जग मंदिर
    • जग मंदिर में शाहजहां ने अपने विद्रोह के दौरान शरण ली थी।
    • झील के मध्य में नटनी का चबूतरा स्थित है।
    • पिछोला झील को फतेहसागर झील से स्वरूप सागर नहर जोड़ती है।

2.4. फतेहसागर झील

  • स्थिति: उदयपुर शहर में।
  • विशेषताएँ:
    • इसका निर्माण महाराणा फतहसिंह ने करवाया था।
    • इसे देवाली तालाब के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यह देवाली गांव के पास स्थित है।
    • इसमें एक टापू पर नेहरू उद्यान स्थित है।
    • यहां सौर वेधशाला (Solar Observatory) स्थापित की गई है।

2.5. आनासागर झील

  • स्थिति: अजमेर शहर में।
  • विशेषताएँ:
    • इसका निर्माण पृथ्वीराज चौहान के दादा अर्णोराज (आनाजी) ने 1135−1150 ई. के बीच चंद्रा नदी के जल को रोककर करवाया था।
    • यहां जहांगीर ने दौलत बाग (सुभाष उद्यान) का निर्माण करवाया, जिसे शाहजहां ने बारहदरी नामक संगमरमर की बारादरी का निर्माण करवाकर और सुंदर बनाया।
    • शाहजहां ने यहां आनासागर झील के किनारे संगमरमर की पांच बारहदियां बनवाईं।

2.6. पुष्कर झील

  • स्थिति: अजमेर जिले में (पुष्कर शहर)।
  • विशेषताएँ:
    • यह एक प्राकृतिक झील है, जिसे पवित्र माना जाता है।
    • यह हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यहां ब्रह्मा जी का एकमात्र प्रसिद्ध मंदिर है।
    • झील के चारों ओर 52 घाट हैं।
    • यहां कार्तिक पूर्णिमा (अक्टूबर-नवंबर) को प्रसिद्ध पुष्कर मेला लगता है, जो अपनी सांस्कृतिक और पशु मेले के लिए विख्यात है।
    • इसे “तीर्थों का मामा” भी कहा जाता है।

2.7. नक्की झील

  • स्थिति: सिरोही जिले में, माउंट आबू में।
  • विशेषताएँ:
    • यह राजस्थान की सबसे ऊँची (लगभग 1200 मीटर) और सबसे गहरी झील है।
    • यह एक क्रेटर झील (ज्वालामुखी द्वारा निर्मित) मानी जाती है, हालांकि लोककथाओं के अनुसार इसे देवताओं ने अपने नाखूनों से खोदकर बनाया था।
    • यहां टॉड रॉक (मेंढक जैसी चट्टान), नन रॉक (घूंघट वाली महिला जैसी चट्टान) जैसी प्रसिद्ध चट्टानें हैं।
    • अक्सर सर्दियों में झील जम जाती है।

2.8. सिलीसेढ़ झील

  • स्थिति: अलवर जिले में।
  • विशेषताएँ:
    • इसे राजस्थान का नंदनकानन कहा जाता है।
    • इसका निर्माण महाराजा विनय सिंह ने 1845 में करवाया था।
    • यहां एक सुंदर झील पैलेस होटल है।

2.9. कोलायत झील

  • स्थिति: बीकानेर जिले में।
  • विशेषताएँ:
    • यह एक प्राकृतिक मीठे पानी की झील है।
    • यह कपिल मुनि की तपोभूमि मानी जाती है।
    • यहां कार्तिक पूर्णिमा को दीपदान उत्सव के साथ एक मेला लगता है।

2.10. गैप सागर झील

  • स्थिति: डूंगरपुर जिले में।
  • विशेषताएँ:
    • यह डूंगरपुर शहर के पास स्थित एक सुंदर झील है।
    • इसके किनारे बादल महल और एक थंबिया महल स्थित हैं।

2.11. बालसमंद झील

  • स्थिति: जोधपुर जिले में।
  • विशेषताएँ:
    • इसका निर्माण 1159 ई. में प्रतिहार शासक बालक राव ने करवाया था।
    • यह एक प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण झील है, जिसके किनारे हरे-भरे उद्यान हैं।

2.12. कायलाना झील

  • स्थिति: जोधपुर जिले में।
  • विशेषताएँ:
    • यह एक कृत्रिम झील है, जिसका निर्माण सर प्रताप सिंह ने करवाया था।
    • यह जोधपुर शहर को पेयजल उपलब्ध कराती है।
    • इसके पास माचिया सफारी पार्क स्थित है।

2.13. फाईसागर झील

  • स्थिति: अजमेर जिले में।
  • विशेषताएँ:
    • इसका निर्माण 1891−92 में इंजीनियर फाई के निर्देशन में अकाल राहत कार्यों के तहत हुआ था।
    • यह अरावली की पहाड़ियों से घिरी एक सुंदर झील है।

3. झीलों का महत्व

राजस्थान में झीलों का महत्व बहुआयामी है:

  • जल आपूर्ति: ये झीलें कई शहरों और कस्बों के लिए पेयजल का मुख्य स्रोत हैं (जैसे कायलाना झील जोधपुर के लिए)।
  • सिंचाई: कई झीलों से नहरें निकालकर कृषि क्षेत्रों की सिंचाई की जाती है (जैसे जयसमंद झील से श्यामपुरा और भाट नहरें)।
  • पर्यटन: राजस्थान की झीलें प्रमुख पर्यटन स्थल हैं, जो बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करती हैं और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देती हैं (जैसे पिछोला, फतेहसागर, नक्की)।
  • पर्यावरण और जैव विविधता: ये झीलें विभिन्न प्रकार के पक्षियों और जलीय जीवों के लिए आवास प्रदान करती हैं, विशेषकर प्रवासी पक्षियों के लिए (जैसे सांभर झील)।
  • नमक उत्पादन: खारे पानी की झीलें राज्य के नमक उत्पादन उद्योग के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में योगदान देता है।
  • सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व: कई झीलें धार्मिक महत्व रखती हैं और तीर्थ स्थलों से जुड़ी हैं (जैसे पुष्कर झील)।

निष्कर्ष

राजस्थान की झीलें, चाहे वे खारे पानी की हों या मीठे पानी की, प्राकृतिक हों या कृत्रिम, राज्य के भूगोल और जीवन शैली का एक अभिन्न अंग हैं। वे न केवल राज्य के शुष्क परिदृश्य में जीवन का संचार करती हैं, बल्कि इसकी समृद्ध सांस्कृतिक और पर्यावरणीय विरासत को भी दर्शाती हैं। इन झीलों का संरक्षण और सतत प्रबंधन राजस्थान के भविष्य के लिए अत्यंत आवश्यक है।

Leave a Comment

Chapters