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राजस्थान की नदियाँ: बंगाल की खाड़ी का अपवाह तंत्र

राजस्थान की नदियाँ राज्य के जल संसाधनों, कृषि और जनजीवन का आधार हैं। यहाँ की नदियों को तीन प्रमुख अपवाह तंत्रों में विभाजित किया जाता है: बंगाल की खाड़ी का अपवाह तंत्र, अरब सागर का अपवाह तंत्र और आंतरिक अपवाह तंत्र। इस अध्याय में हम राजस्थान के उन प्रमुख नदियों का अध्ययन करेंगे जो अपना जल अंततः बंगाल की खाड़ी में ले जाती हैं। ये नदियाँ मुख्यतः अरावली पर्वतमाला के पूर्वी ढलानों से निकलकर पूर्व या दक्षिण-पूर्व की ओर प्रवाहित होती हैं।


1. बंगाल की खाड़ी अपवाह तंत्र का परिचय

यह राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा अपवाह तंत्र है। राज्य की लगभग 22.4% नदियाँ इस अपवाह तंत्र का हिस्सा हैं। इन नदियों का जल या तो सीधे यमुना नदी में मिलता है, या चंबल नदी के माध्यम से यमुना में मिलकर अंततः बंगाल की खाड़ी में पहुँचता है।

  • प्रमुख नदियाँ: इस तंत्र की प्रमुख नदियाँ चंबल, बनास, बाणगंगा, गंभीरी, पार्वती, कालीसिंध आदि हैं।
  • प्रवाह क्षेत्र: मुख्यतः पूर्वी और दक्षिणी-पूर्वी राजस्थान, जिसमें कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़, चित्तौड़गढ़, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर, भरतपुर, अलवर, जयपुर, दौसा, भीलवाड़ा, राजसमंद, अजमेर और टोंक जिले शामिल हैं।

2. चंबल नदी (चर्मण्वती)

चंबल नदी राजस्थान की सबसे लंबी और एकमात्र नित्यवाही (वर्षभर बहने वाली) नदी है। यह राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच सीमा बनाती है।

  • उद्गम: मध्य प्रदेश में विंध्याचल पर्वतमाला की जानापाव पहाड़ियाँ (मऊ, इंदौर)
  • कुल लंबाई: लगभग 1051 किलोमीटर (पहले 965 किमी थी, नवीनतम आंकड़ों के अनुसार)।
  • राजस्थान में प्रवेश: चित्तौड़गढ़ जिले में चौरासीगढ़ के पास राजस्थान में प्रवेश करती है।
  • राजस्थान में लंबाई: लगभग 322 किलोमीटर।
  • प्रवाह क्षेत्र: चित्तौड़गढ़, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, करौली और धौलपुर।
  • अपवाह क्षेत्र: राजस्थान के 6 जिलों में बहती है।
  • सहायक नदियाँ: बनास, पार्वती, कालीसिंध, आहू, परवन, कुराल, बामनी, मेज।
  • विशेषताएँ:
    • नित्यवाही नदी: यह राजस्थान की एकमात्र बारहमासी नदी है।
    • बीहड़/उत्खात भूमि: यह अपने बहाव क्षेत्र में गहरे खड्डों और बीहड़ों (Ravines/Badlands) का निर्माण करती है, जिन्हें ‘डांग क्षेत्र’ भी कहा जाता है।
    • जल विद्युत परियोजनाएँ: चंबल नदी पर 4 प्रमुख बाँध और जलविद्युत परियोजनाएँ हैं, जो चंबल घाटी परियोजना का हिस्सा हैं:
      1. गांधी सागर बाँध: मध्य प्रदेश (मंदसौर) में। यह चंबल पर बना पहला बाँध है।
      2. राणा प्रताप सागर बाँध: चित्तौड़गढ़ (रावतभाटा, राजस्थान) में। यह चंबल पर राजस्थान में सबसे बड़ा बाँध है और सर्वाधिक जल भराव क्षमता वाला है।
      3. जवाहर सागर बाँध: कोटा (राजस्थान) में। यह एक पिकअप बाँध है।
      4. कोटा बैराज: कोटा (राजस्थान) में। यह मुख्य रूप से सिंचाई के लिए नहरें निकालने हेतु निर्मित है।
    • चूलिया जलप्रपात: चित्तौड़गढ़ में, भैंसरोड़गढ़ के पास चंबल नदी पर 18 मीटर ऊँचा चूलिया जलप्रपात स्थित है, जो राजस्थान का सबसे ऊँचा जलप्रपात है।
    • त्रिवेणी संगम: चंबल, बनास और सीप नदियों का त्रिवेणी संगम सवाई माधोपुर के रामेश्वरम में होता है।
    • सीमा निर्माण: यह राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच लगभग 241 किमी की सीमा बनाती है।
    • लुप्तप्राय प्रजातियाँ: घड़ियाल और मगरमच्छों के लिए प्रसिद्ध है।

3. बनास नदी (वन की आशा/वर्णाशा)

बनास नदी पूर्णतः राजस्थान में बहने वाली सबसे लंबी नदी है। यह चंबल की प्रमुख सहायक नदी है।

  • उद्गम: राजसमंद जिले में कुंभलगढ़ के पास खमनौर की पहाड़ियों से।
  • कुल लंबाई: लगभग 480 किलोमीटर। यह पूरी तरह से राजस्थान में बहती है।
  • प्रवाह क्षेत्र: राजसमंद, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, अजमेर, टोंक और सवाई माधोपुर।
  • अपवाह क्षेत्र: राजस्थान के 6 जिलों में बहती है।
  • सहायक नदियाँ: बेड़च, कोठारी, मेनाल, खारी, मानसी, ढूँढ, मोरेल।
  • विशेषताएँ:
    • पूर्णतः राजस्थान में: यह राजस्थान में पूर्ण बहाव की दृष्टि से सबसे लंबी नदी है।
    • त्रिवेणी संगम:
      1. बनास, बेड़च और मेनाल नदियों का संगम भीलवाड़ा के बिगोद में होता है।
      2. बनास, डाई और खारी नदियों का संगम टोंक के राजमहल (देवली) में होता है।
      3. बनास, चंबल और सीप नदियों का संगम सवाई माधोपुर के रामेश्वरम में होता है।
    • बाँध:
      • बीसलपुर बाँध: टोंक जिले में, बीसलपुर में। यह पेयजल की दृष्टि से राजस्थान का सबसे बड़ा पेयजल बाँध है, जिससे जयपुर, अजमेर और टोंक को पेयजल मिलता है।
      • ईसरदा बाँध: सवाई माधोपुर में।
    • बनास बेसिन: बनास नदी द्वारा निर्मित उपजाऊ मैदान कृषि के लिए महत्वपूर्ण हैं।

4. कालीसिंध नदी

कालीसिंध नदी चंबल की एक महत्वपूर्ण सहायक नदी है।

  • उद्गम: मध्य प्रदेश में विंध्याचल की बागली गाँव (देवास) के पास से।
  • राजस्थान में प्रवेश: झालावाड़ जिले में रायपुर तहसील के बिंदा गाँव से राजस्थान में प्रवेश करती है।
  • प्रवाह क्षेत्र: झालावाड़, बारां और कोटा।
  • सहायक नदियाँ: आहू, परवन, निवाज।
  • संगम: कोटा के पास नान्हेड़ा (नानेरा) में चंबल नदी में मिल जाती है।
  • विशेषताएँ:
    • इस पर झालावाड़ में हरिश्चंद्र सागर बाँध स्थित है।
    • आहू और कालीसिंध के संगम पर गागरोन का दुर्ग (जल दुर्ग) स्थित है।

5. पार्वती नदी

पार्वती नदी भी चंबल की सहायक नदी है।

  • उद्गम: मध्य प्रदेश में विंध्य श्रेणी की सेहोर क्षेत्र से।
  • राजस्थान में प्रवेश: बारां जिले के करियाहट गाँव से राजस्थान में प्रवेश करती है।
  • प्रवाह क्षेत्र: बारां, कोटा, सवाई माधोपुर (सीमा पर)।
  • संगम: कोटा और सवाई माधोपुर की सीमा पर पालिया गाँव के पास चंबल में मिल जाती है।
  • विशेषताएँ: यह बारां जिले के लिए एक महत्वपूर्ण जल स्रोत है।

6. आहू नदी

आहू नदी कालीसिंध की सहायक नदी है।

  • उद्गम: मध्य प्रदेश के सुसनेर (मंदसौर) से।
  • राजस्थान में प्रवेश: झालावाड़ जिले में नंदपुर गाँव के पास।
  • संगम: झालावाड़ में गागरोन के पास कालीसिंध नदी में मिल जाती है।
  • विशेषताएँ: आहू और कालीसिंध नदियों के संगम पर गागरोन का प्रसिद्ध जल दुर्ग स्थित है।

7. परवन नदी

परवन नदी कालीसिंध की एक अन्य सहायक नदी है।

  • उद्गम: मध्य प्रदेश के मालवा पठार से।
  • राजस्थान में प्रवेश: झालावाड़ जिले में।
  • प्रवाह क्षेत्र: झालावाड़, बारां।
  • संगम: बारां में पलायथा के पास कालीसिंध में मिल जाती है।
  • विशेषताएँ: यह नदी बारां जिले के लिए महत्वपूर्ण है।

8. बाणगंगा नदी (अर्जुन की गंगा/ताला नदी/रूंडित नदी)

यह नदी सीधे यमुना में मिलती है, इसलिए इसे ‘यमुना की सहायक नदी’ के रूप में भी जाना जाता है।

  • उद्गम: जयपुर जिले में विराटनगर (बैराठ) की पहाड़ियाँ
  • कुल लंबाई: लगभग 380 किलोमीटर।
  • प्रवाह क्षेत्र: जयपुर, दौसा और भरतपुर।
  • संगम: उत्तर प्रदेश के फतेहाबाद (आगरा) के पास यमुना नदी में मिल जाती है।
  • विशेषताएँ:
    • पहले इसे सीधी यमुना की सहायक नदी माना जाता था, लेकिन जल की कमी के कारण अब इसे आंतरिक अपवाह तंत्र का हिस्सा (रूंडित नदी) माना जाता है, क्योंकि यह कभी-कभी यमुना तक नहीं पहुँच पाती।
    • इस पर जमुआ रामगढ़ बाँध स्थित है, जो जयपुर को पेयजल उपलब्ध कराता था (अब सूख गया है)।
    • बैराठ सभ्यता इस नदी के किनारे विकसित हुई थी।

9. गंभीरी नदी

यह नदी भी सीधे यमुना में मिलती है।

  • उद्गम: करौली जिले की श्री महावीरजी की पहाड़ियाँ
  • प्रवाह क्षेत्र: करौली, भरतपुर, धौलपुर।
  • संगम: उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में यमुना नदी में मिल जाती है।
  • सहायक नदियाँ: अटा, भद्रावती, भैंसावट, खेर, पार्वती (यह पार्वती नदी चंबल की सहायक पार्वती से भिन्न है)।
  • विशेषताएँ: इस पर पांचना बाँध (करौली में) स्थित है, जो मिट्टी से निर्मित राजस्थान का सबसे बड़ा बाँध है और अमेरिका के सहयोग से बना है।

10. अन्य छोटी नदियाँ

  • मेज नदी: चंबल की सहायक नदी, बूंदी में बहती है।
  • कुराल नदी: चंबल की सहायक नदी, बूंदी में बहती है।
  • मोरेल नदी: बनास की सहायक नदी, जयपुर, दौसा और सवाई माधोपुर में बहती है।
  • खारी नदी: बनास की सहायक नदी, राजसमंद, भीलवाड़ा, अजमेर, टोंक में बहती है।
  • डाई नदी: बनास की सहायक नदी, अजमेर, टोंक में बहती है।
  • सोहादरा नदी: चंबल की सहायक नदी, कोटा में बहती है।

निष्कर्ष

राजस्थान का बंगाल की खाड़ी अपवाह तंत्र राज्य के पूर्वी और दक्षिणी-पूर्वी भागों के लिए जीवनरेखा है। चंबल, बनास और उनकी सहायक नदियाँ इस क्षेत्र की कृषि, उद्योगों और पेयजल आवश्यकताओं की पूर्ति करती हैं। इन नदियों पर निर्मित बाँध और परियोजनाएँ राज्य के जल प्रबंधन और ऊर्जा उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालाँकि, इन नदियों को भी प्रदूषण, अत्यधिक दोहन और वर्षा की अनिश्चितता जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिनके समाधान के लिए सतत प्रबंधन आवश्यक है।

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