आधुनिक युग में मानव जैसे-जैसे प्रगति के अनेक सोपान तय कर रहा है, उसके साथ ही इस वैज्ञानिक युग के अभिशाप उसे प्रभावित करने लगे हैं। पर्यावरण प्रदूषण को संभवतः आज के समय का सबसे बड़ा अभिशाप कहा जा सकता है।
बढ़ते हुए औद्योगीकरण, जनसंख्या वृद्धि और वनों के घटने के कारण पर्यावरण में अवांछनीय परिवर्तन हो रहे हैं, जिसका दुष्प्रभाव सभी जीव-जंतुओं पर पड़ रहा है। इसे ही प्रदूषण कहा जाता है। इसका अध्ययन आज के संदर्भ में अत्यंत आवश्यक है।
प्रदूषण (Pollution) का शाब्दिक अर्थ है ‘गंदा या अस्वच्छ करना’। साधारण शब्दों में प्रदूषण वह अवांछनीय परिवर्तन है, जो पर्यावरण के जैविक तथा अजैविक तत्वों के रासायनिक, भौतिक तथा जैविक गुणों में मानवीय क्रियाकलापों के कारण होता है। वस्तुतः प्रदूषण (Pollution) का मूलतः अर्थ है—शुद्धता का ह्रास (Deterioration of purity)।
वैज्ञानिक शब्दावली में, पर्यावरण के संगठन (Composition) में उत्पन्न कोई भी बाधा, जो सम्पूर्ण मानव जाति के लिए घातक हो, उसे प्रदूषण (Pollution) कहा जाता है।
लॉर्ड केनेट के अनुसार—”पर्यावरण में उन तत्वों या ऊर्जा की उपस्थिति को प्रदूषण कहते हैं, जो मनुष्य द्वारा अनचाहे उत्पन्न किए गए हों।”
पर्यावरण प्रदूषण
ओडम (E.P. Odum) के अनुसार—प्रदूषण हवा, जल एवं भूमि के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणों में एक ऐसा अवांछनीय परिवर्तन है, जिसमें मानव जीवन, औद्योगिक क्रियाएँ, जीवन दशाएं तथा सांस्कृतिक तत्वों का ह्रास होता है। उन सभी तत्वों तथा पदार्थों को जिनकी उपस्थिति से प्रदूषण उत्पन्न होता है, प्रदूषक (Pollutant) कहते हैं।
प्रदूषक
जीव मण्डल में संचरित विविध प्राकृतिक तत्वों के प्राकृतिक संतुलन की अवस्था में असंतुलन उत्पन्न करने वाले कारकों या तत्वों को प्रदूषक कहते हैं। ये मानवीय क्रिया या कार्यकलापों के उपउत्पाद होते हैं।
1. उपस्थिति एवं स्रोत के आधार पर
उपस्थिति एवं स्रोत के आधार पर प्रदूषक दो प्रकार के होते हैं—
- प्राकृतिक प्रदूषक (Natural Pollutant)
- मानव निर्मित प्रदूषक (Man-made Pollutant)
2. प्रदूषक की प्रकृति के आधार पर
अपशिष्ट का प्रकार | विवरण |
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1# ठोस अपशिष्ट (Solid Wastes) | औद्योगिक अपशिष्ट, कूड़ा-कर्कट (रसोई, मासघर, डिब्बा, बोतल, प्लास्टिक, मृत जंतुओं के कंकाल, मलबा आदि) |
2# तरल अपशिष्ट (Liquid Wastes) | घरेलू जल, मलमूत्र, मिट्टी के कण, औद्योगिक तरल अपशिष्ट |
3# गैसीय अपशिष्ट (Gaseous Wastes) | CO, SO₂, NO₂, धूल, कोहरा (Smogases), मीथेन, हाइड्रोकार्बन गैसें |
4# भारहीन अपशिष्ट (Weightless Wastes) | गैर-दृश्य ऊर्जा अपशिष्ट (Non-visible energy waste) |
5# ताप अपशिष्ट (Heat Waste) | अत्यधिक गर्म जल, तरल अपशिष्ट और तापित गैसें, जो विभिन्न औद्योगिक संस्थानों से निकलती हैं |
6# ध्वनि अपशिष्ट (Noise Waste) | अवांछनीय ध्वनि और अन्य शोर जो पर्यावरण के लिए हानिकारक है |
3. पर्यावरणीय दृष्टिकोण के आधार पर
ओडम (E.P. Odum) ने प्रदूषकों को दो वर्गों में विभाजित किया है—
(1) अवघटनीय प्रदूषक (Non-degradable Pollutant) | (2) जैव अवघटनीय प्रदूषक (Biodegradable Pollutant) |
ऐसे औद्योगिक पदार्थ जो प्राकृतिक (भौतिक), रासायनिक एवं जैव-रासायनिक क्रियाओं द्वारा विघटित नहीं होते। परिणामस्वरूप इनका पुनः चक्रण नहीं होता और ये खाद श्रृंखला में जाकर हानिकारक प्रभाव उत्पन्न करते हैं। इनमें मुख्य हैं—फेनोलिक यौगिक, डी.डी.टी., बी.एच.सी., एनीलिन तथा टेफ्लॉन। | ये प्रदूषक अधिकांशतः जीव-जंतुओं और वनस्पतियों के जैविक क्रियाओं से उत्पन्न होते हैं। इनमें घरेलू अपशिष्ट जैसे मलमूत्र, अपशिष्ट, शाक-फल के अंश शामिल हैं। यदि इनका अनुपात विघटन दर से अधिक हो तो ये प्रदूषण का कारण बन जाते हैं। |
4. स्रोत उत्पत्ति के आधार
प्रदूषकों के स्रोत उत्पत्ति के आधार पर दो प्रकार के होते हैं—
- प्राकृतिक स्रोत (Natural Sources)
- मानवीय स्रोत (Human Sources)
(1) प्राकृतिक स्रोत (Natural Sources)
इस वर्ग में प्राकृतिक प्रक्रियाओं के दौरान उत्पन्न प्रदूषक तत्व शामिल हैं। इनमें ज्वालामुखी, राख एवं धूल, भूकंपीय घटनाओं के दौरान आने वाले सतही परिवर्तन, बाढ़, सूखा, मृदा अपरदन, चक्रवातीय तूफान आदि प्रमुख हैं।
(2) मानवीय स्रोत (Human Sources)
मानवजनित प्रदूषण के स्रोत अनेक हैं, जैसे—
- (i) औद्योगिक बह:प्रवाह (Industrial Effluents)
- (ii) घरेलू बह:प्रवाह (Domestic Effluents)
- (iii) सीवेज मल (Sewage)
- (iv) कृषि बह:प्रवाह (Agricultural Effluents)
- (अ) तेलीय स्रोत (Oil Pollutant)
- (v) तापीय स्रोत (Thermal Sources)
- (vi) रेडियोधर्मी अपशिष्ट (Radioactive Waste)
- (vii) दहन क्रिया (Combustion Process)
- (viii) नगरपालिका अपशिष्ट (Municipal Waste)
- (ix) खनन अपशिष्ट (Mining Waste)
- (x) परिवहन के साधन (Means of Transportation)
- (xi) मनोरंजन के साधन (Means of Entertainment)
- (xii) सामाजिक क्रियाएं (Social Activities)
प्रदूषक के प्रकार
प्रकृति में विभिन्न प्रकार के प्रदूषण पाए जाते हैं, जिनका वर्गीकरण प्रदूषक तत्वों, प्रदूषण के स्रोतों तथा वितरण के आधार पर किया जाता है। प्रदूषकों के विभिन्न प्रकार हैं—
प्रदूषण के स्वरूप के आधार पर दो प्रकार के पर्यावरण प्रदूषण होते हैं—
- भौतिक या प्राकृतिक प्रदूषण
- सामाजिक या सांस्कृतिक प्रदूषण
भौतिक प्रदूषण पर्यावरण के भौतिक घटकों जैसे जल, वायु, मृदा आदि में पाया जाता है, और इसे जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण तथा मृदा प्रदूषण कहा जाता है।
सामाजिक प्रदूषण के प्रकार हैं—
- आर्थिक प्रदूषण (गरीबी और बेरोजगारी)
- राजनीतिक प्रदूषण (युद्ध आदि)
- धार्मिक प्रदूषण (धार्मिक आधार पर हिंसा)
- सामाजिक प्रदूषण (अपराध, लूट, डकैती)
औद्योगिक क्षेत्र का प्रदूषण, कृषि प्रदूषण, धार्मिक पर्यटन स्थल का प्रदूषण आदि भी विभिन्न प्रकार के प्रदूषण में शामिल हैं।
अन्य प्रकार—
- तापीय प्रदूषण
- रेडियोएक्टिव प्रदूषण
प्रभाव
पर्यावरण का वातावरण और जीवों के शरीर पर अनेक अत्यधिक प्रभाव पड़ते हैं। पर्यावरण के गुणसूत्र और जीनों में पहुँचकर ये घातक उत्परिवर्तन पैदा कर सकते हैं। पर्यावरण से कैंसर, अर्थ कासर, बांझपन आदि का कारण बन सकते हैं।
1000 से अधिक रोटेशन के वातावरण से तीव्र मृत्यु होती है और 3000 से अधिक रोटेशन के वातावरण से केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की मृत्यु हो जाती है। डी.एन.ए. को प्रभावित कर वंशानुगत रोग उत्पन्न हो सकते हैं।
उदाहरण—जापान के हिरोशिमा और नागासाकी की घटनाएं तथा 1986 में सोवियत संघ के यूक्रेन में चेरनोबिल परमाणु बिजलीघर में परमाणु दुर्घटना हुई।