भारतीय संविधान में, देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद उपराष्ट्रपति का है। यह पद संयुक्त राज्य अमेरिका के उपराष्ट्रपति के पद की तर्ज पर बनाया गया है। भारत का उपराष्ट्रपति मुख्य रूप से दोहरी भूमिका निभाता है: पहला, वह राज्य सभा (Council of States) के पदेन सभापति के रूप में कार्य करता है और दूसरा, राष्ट्रपति का पद रिक्त होने की स्थिति में वह कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में देश का नेतृत्व करता है।
यह पद भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में निरंतरता और स्थिरता सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। संविधान के अनुच्छेद 63 से 71 तक उपराष्ट्रपति के पद, निर्वाचन, शक्तियों और अन्य प्रावधानों का विस्तृत वर्णन किया गया है।
उपराष्ट्रपति से संबंधित अनुच्छेद
उपराष्ट्रपति से संबंधित महत्वपूर्ण संवैधानिक अनुच्छेद निम्नलिखित हैं:
- अनुच्छेद 63: भारत का उपराष्ट्रपति
- इस अनुच्छेद के अनुसार, “भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा।” यह देश में इस पद की संवैधानिक स्थापना करता है।
- अनुच्छेद 64: उपराष्ट्रपति का राज्य सभा का पदेन सभापति होना
- उपराष्ट्रपति, राज्य सभा का पदेन सभापति (ex-officio Chairman) होता है। ‘पदेन’ का अर्थ है कि जो भी व्यक्ति उपराष्ट्रपति के पद पर होगा, वह स्वतः ही राज्य सभा के सभापति का पद भी संभालेगा।
- वह राज्य सभा के सदस्य नहीं होते, इसलिए उन्हें सदन में मतदान का अधिकार नहीं होता। हालाँकि, मतों के बराबर होने की स्थिति में वह निर्णायक मत (Casting Vote) दे सकते हैं।
- अनुच्छेद 65: राष्ट्रपति पद की रिक्ति पर उपराष्ट्रपति का कार्य
- यदि राष्ट्रपति का पद उनकी मृत्यु, त्यागपत्र, महाभियोग द्वारा हटाए जाने या किसी अन्य कारण से रिक्त हो जाता है, तो उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है।
- जब राष्ट्रपति बीमारी या अनुपस्थिति के कारण अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में असमर्थ होते हैं, तब भी उपराष्ट्रपति उनके कर्तव्यों का पालन करते हैं।
- कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते समय, उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति की सभी शक्तियाँ, उन्मुक्तियाँ और वेतन-भत्ते प्राप्त होते हैं। इस अवधि में वे राज्य सभा के सभापति के रूप में कार्य नहीं करते हैं।
- अनुच्छेद 66: उपराष्ट्रपति का निर्वाचन
- निर्वाचक मंडल (Electoral College): उपराष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है जिसमें संसद के दोनों सदनों (लोक सभा और राज्य सभा) के सभी सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत) शामिल होते हैं।
- महत्वपूर्ण अंतर: राष्ट्रपति के चुनाव में केवल निर्वाचित सांसद और विधायक भाग लेते हैं, जबकि उपराष्ट्रपति के चुनाव में मनोनीत सांसद भी भाग लेते हैं।
- चुनाव प्रक्रिया: चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत (Proportional Representation by means of Single Transferable Vote) द्वारा होता है और यह मतदान गुप्त होता है।
- योग्यताएँ (Qualifications): उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार को निम्नलिखित योग्यताएँ पूरी करनी होती हैं:
- वह भारत का नागरिक हो।
- उसकी आयु 35 वर्ष से अधिक हो।
- वह राज्य सभा का सदस्य चुने जाने के योग्य हो।
- वह संघ या राज्य सरकार के अधीन किसी लाभ के पद पर न हो।
- निर्वाचक मंडल (Electoral College): उपराष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है जिसमें संसद के दोनों सदनों (लोक सभा और राज्य सभा) के सभी सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत) शामिल होते हैं।
- अनुच्छेद 67: उपराष्ट्रपति की पदावधि (Term of Office)
- उपराष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।
- वह अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति को सौंप सकते हैं।
- पद से हटाने की प्रक्रिया: उपराष्ट्रपति को कार्यकाल पूरा होने से पहले भी पद से हटाया जा सकता है।
- इसका प्रस्ताव केवल राज्य सभा में ही प्रस्तुत किया जा सकता है।
- प्रस्ताव को राज्य सभा के तत्कालीन समस्त सदस्यों के बहुमत (Effective Majority) से पारित होना आवश्यक है।
- इसके बाद इस प्रस्ताव पर लोक सभा की सहमति (Simple Majority) आवश्यक है।
- इस प्रक्रिया के लिए उपराष्ट्रपति को 14 दिन की पूर्व सूचना देना अनिवार्य है।
- ध्यान दें: उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए संविधान में महाभियोग (Impeachment) शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है।
- अनुच्छेद 69: उपराष्ट्रपति द्वारा शपथ
- उपराष्ट्रपति अपना पद ग्रहण करने से पूर्व राष्ट्रपति अथवा उनके द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा की शपथ लेते हैं।
- अनुच्छेद 71: राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित मामले
- उपराष्ट्रपति के चुनाव से संबंधित सभी विवादों की जाँच और निर्णय का अंतिम अधिकार उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) को है और उसका निर्णय अंतिम होता है।
कार्य एवं शक्तियाँ
उपराष्ट्रपति के कार्यों को दो भागों में बांटा जा सकता है:
- राज्य सभा के सभापति के रूप में:
- वह राज्य सभा की बैठकों की अध्यक्षता करते हैं और सदन की कार्यवाही का संचालन करते हैं।
- वह सदन में शांति और व्यवस्था बनाए रखते हैं।
- वह सदन के नियमों की व्याख्या करते हैं और किसी सदस्य की योग्यता पर निर्णय देते हैं।
- वह सदन में पेश किए गए विधेयकों और प्रस्तावों पर मतदान करवाते हैं और परिणाम घोषित करते हैं।
- मत बराबर होने की दशा में निर्णायक मत देते हैं।
- कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में:
- अनुच्छेद 65 के तहत, वह राष्ट्रपति के पद की आकस्मिक रिक्ति के दौरान एक कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं। यह अधिकतम 6 महीने की अवधि के लिए हो सकता है, क्योंकि इस अवधि के भीतर नए राष्ट्रपति का चुनाव कराना अनिवार्य है।
वेतन एवं भत्ते
- संविधान में उपराष्ट्रपति के लिए किसी वेतन का प्रावधान नहीं है।
- उन्हें जो वेतन और भत्ते मिलते हैं, वे राज्य सभा के पदेन सभापति के रूप में मिलते हैं।
- वर्तमान में, यह वेतन ₹4,00,000 प्रति माह है, जो भारत की संचित निधि पर भारित होता है।
- जब वे कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं, तो उन्हें राष्ट्रपति को मिलने वाला वेतन और भत्ते प्राप्त होते हैं।
भारत के उपराष्ट्रपतियों की सूची (1952 – वर्तमान)
क्रम | नाम | कार्यकाल | विशेष तथ्य |
1. | डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन | 1952 – 1962 | भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति; दो कार्यकाल पूरे किए; बाद में राष्ट्रपति बने। |
2. | डॉ. जाकिर हुसैन | 1962 – 1967 | बाद में भारत के पहले मुस्लिम राष्ट्रपति बने। |
3. | वी.वी. गिरि | 1967 – 1969 | राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए पद से इस्तीफा देने वाले पहले उपराष्ट्रपति। |
4. | गोपाल स्वरूप पाठक | 1969 – 1974 | वे उपराष्ट्रपति जो राष्ट्रपति नहीं बन पाए। |
5. | बी.डी. जत्ती | 1974 – 1979 | कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में भी कार्य किया। |
6. | एम. हिदायतुल्ला | 1979 – 1984 | मुख्य न्यायाधीश जो उपराष्ट्रपति बने। |
7. | आर. वेंकटरमन | 1984 – 1987 | बाद में राष्ट्रपति बने। |
8. | डॉ. शंकर दयाल शर्मा | 1987 – 1992 | बाद में राष्ट्रपति बने। |
9. | के.आर. नारायणन | 1992 – 1997 | भारत के पहले दलित राष्ट्रपति बने। |
10. | कृष्ण कांत | 1997 – 2002 | पद पर रहते हुए मृत्यु को प्राप्त होने वाले एकमात्र उपराष्ट्रपति। |
11. | भैरोंसिंह शेखावत | 2002 – 2007 | राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री। |
12. | मोहम्मद हामिद अंसारी | 2007 – 2017 | डॉ. राधाकृष्णन के बाद दो कार्यकाल पूरे करने वाले दूसरे उपराष्ट्रपति। |
13. | एम. वेंकैया नायडू | 2017 – 2022 | |
14. | जगदीप धनखड़ | 2022 – वर्तमान | भारत के वर्तमान उपराष्ट्रपति; मूल रूप से राजस्थान से हैं। |
उपराष्ट्रपति जो बाद में भारत के राष्ट्रपति बने
भारतीय राजनीति में यह एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि कई उपराष्ट्रपतियों ने बाद में देश के सर्वोच्च पद, यानी राष्ट्रपति पद को भी सुशोभित किया है। इनकी सूची इस प्रकार है:
- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
- डॉ. जाकिर हुसैन
- वी. वी. गिरि
- आर. वेंकटरमन
- डॉ. शंकर दयाल शर्मा
- के. आर. नारायणन
निष्कर्ष
यद्यपि उपराष्ट्रपति का पद राष्ट्रपति की तुलना में कम शक्तियों वाला प्रतीत होता है, तथापि इसका महत्व अद्वितीय है। यह पद न केवल देश के विधायी कार्यों (राज्य सभा के सभापति के रूप में) को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है, बल्कि देश के शीर्ष पद पर किसी भी आकस्मिक रिक्ति की स्थिति में एक महत्वपूर्ण ‘बैक-अप’ प्रदान कर राजनीतिक स्थिरता भी सुनिश्चित करता है। इस प्रकार, उपराष्ट्रपति का कार्यालय भारतीय लोकतंत्र का एक अभिन्न और सम्मानजनक अंग है।